Friday 13 November 2015

Universal Truth

एक प्राचीन मंदिर की छत पर
कुछ कबूतर राजी खुशी रहते थे।

जब वार्षिकोत्सव की तैयारी के लिये मंदिर का जीर्णोद्धार होने लगा तब कबूतरों को मंदिर छोड़कर पास के चर्च में जाना पड़ा।

चर्च के ऊपर रहने वाले कबूतर भी नये कबूतरों के
साथ राजीखुशी रहने लगे।

क्रिसमस नज़दीक था तो चर्च का भी रंगरोगन शुरू हो गया। अत: सभी कबूतरों को जाना पड़ा नये ठिकाने की तलाश में। किस्मत से पास के एक मस्जिद में उन्हे जगह मिल गयी और मस्जिद में रहने वाले कबूतरों ने उनका खुशी-खुशी स्वागत किया।

रमज़ान का समय था मस्जिद की साफसफाई भी शुरू हो गयी तो सभी कबूतर वापस उसी प्राचीन मंदिर की छत पर आ गये।

एक दिन मंदिर की छत पर बैठे कबूतरों ने देखा कि
नीचे चौक में धार्मिक उन्माद एवं दंगे हो गये। छोटे से कबूतर ने अपनी माँ से पूछा " माँ ये कौन लोग हैं ?"

माँ ने कहा " ये मनुष्य हैं"।
छोटे कबूतर ने कहा " माँ ये लोग आपस में लड़ क्यों रहे हैं ?"  माँ ने कहा " जो मनुष्य मंदिर जाते हैं वो हिन्दू कहलाते हैं, चर्च जाने वाले ईसाई और मस्जिद जाने वाले मनुष्य मुस्लिम कहलाते हैं।"

छोटा कबूतर बोला " माँ एसा क्यों ? जब हम मंदिर में थे तब हम कबूतर कहलाते थे, चर्च में गये तब भी कबूतर कहलाते थे और जब मस्जिद में गये तब भी
कबूतर कहलाते थे, इसी तरह यह लोग भी मनुष्य कहलाने चाहिये चाहे कहीं भी जायें।"

माँ बोली " मैनें, तुमने और हमारे साथी कबूतरों ने उस एक प्राकृतिक सत्य का अनुभव किया है इसलिये हम इतनी ऊंचाई पर शांतिपूर्वक रहते हैं।

इन लोगों को उस एक प्राकृतिक सत्य का अनुभव
होना बाकी है , इसलिये यह लोग हमसे नीचे रहते हैं और आपस में दंगे फसाद करते हैं।"

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